महाराष्ट्र के सरकारी पाठ्यक्रम में शामिल हुई पवन चौहान की बाल कविता

Pawan Chauhan's Children's Poem
(पाठ्यपुस्तक ‘बाल भारती’ में कविता ‘पता करो जी’)
पवन के नाम एक और उपलब्धि
Pawan Chauhan's Children's Poem: हिमाचल प्रदेश के जिला मण्डी के महादेव गांव के साहित्यकार पवन चौहान की साहित्यिक उपलब्धियों में एक और उपलब्धि जुड़ गई है। उनकी बाल कविता ‘पता करो जी’ को महाराष्ट्र राज्य पाठ्यपुस्तक निर्मिती व अभ्यासक्रम संशोधन मंडल, पुणे ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है। उनकी इस कविता को महाराष्ट्र राज्य के पहली कक्षा के लाखों विद्यार्थियों को ‘बाल भारती’ हिन्दी की पाठ्यपुस्तक में सत्र 2025-26 से पढ़ाया जा रहा है। इस कविता को सरकारी और निजी विद्यालयों के विद्यार्थी पढेंगे। यह हिमाचल के लिए गर्व की बात है। इस मजेदार बाल कविता को बच्चे जहां आनंद से गा सकते हैं वहीं यह कविता उन्हें अपने परिवेश व अपनी धरती से जोड़ती हुई कई जानकारियों से अवगत करवाती है। पुस्तक ‘बाल भारती’ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, राष्ट्रीय पाठ्यचर्या प्रारूप आधारभूत स्तर 2023 एवं उस पर आधारित राज्य आधारभूत शिक्षण पाठ्यक्रम 2024 को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। पहली कक्षा के बच्चों के स्तर को ध्यान में रखते हुए पुस्तक में बच्चों के लिए मनोरंजक, रूचिपूर्ण और जानकारी से सजी सामग्री को शामिल किया गया है। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी पवन की बाल कहानी ‘अलग अंदाज में होली’ को महाराष्ट्र के ही सरकारी पाठ्यक्रम की सातवीं कक्षा में बच्चे पढ़ रहे हैं।
अन्य पाठ्यक्रम में रचनाएं
पवन चौहान कविता, कहानी, बाल कहानी, फीचर लेखन में बराबर सक्रीय हैं। हिमाचली बाल साहित्य में इनका कार्य उल्लेखनीय है। इससे पूर्व इनकी कई रचनाएं विभिन्न स्कूली तथा विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल हुई हैं। हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड की पांचवी कक्षा की पुस्तक में कहानी, लीड के पाठयक्रम की पांचवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘संपूर्ण हिंदी समर्थ’ में कविता ‘सयानी नानी’, सी०बी०एस०ई० संबद्ध स्कूली पाठ्यक्रम की सातवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक ‘सरस्वती सरगम’ में यात्रा संस्मरण, कक्षा दूसरी की पाठ्यपुस्तक ‘नव उन्मेष’ में कहानी ‘खिलौनों को लग गई ठंड’ तथा वीवा एडुकेशन की ही सातवीं व आठवीं कक्षा में संवाद ‘श्रेष्ठ भारत’, कहानी ‘घोंसला’ व फीचर ‘छितकुल की यात्रा’, वीवा एडुकेशन की ही पाठ्यपुस्तक श्रृंखला ‘परमिता’ के अंतर्गत कक्षा तीसरी में नाटक के रूप में ‘ऐसे समझ आई बात’, चौथी कक्षा में संवाद के रूप में ‘ज्वारी परंपरा’, छठी में कविता के रूप में ‘सुबह के मोती’ व ‘लोक संस्कृति और आभूषण’ तथा सातवीं में फीचर के रूप में ‘प्रकृति का खूबसूरत उपहार- बरोट’ नामक रचनाएं शामिल की गई हैं। इसके अलावा, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, केरल की बी० कॉम० तथा राष्ट्रसंत तुकाड़ोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय, नागपुर के बी०ए० पाठ्यक्रम में यात्रा संस्मरण शामिल किया जा चुका है।
विशेष
पवन चौहान एक शिक्षक हैं। इनकी कई रचनाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं के साथ नेपाली में भी अनुवाद हुआ है। यही नहीं, हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला से ‘पवन चौहान की बाल कहानियों का आलोचनात्मक विश्लेषण’ विषय पर लघु शोध भी हुआ है। पवन ने वर्ष 2014 में ‘राष्ट्रीय सहारा’ समाचार पत्र की रविवारीय मैगजीन ‘उमंग’ में ‘टूर’ नाम से पर्यटन पर नियमित स्तंभ भी लिखा है तथा बाल साहित्य विशेषांकों का अतिथि संपादन भी किया है।
प्रकाशित पुस्तकें
पवन चौहान की ‘किनारे की चट्टान’ (कविता संग्रह), बोधि प्रकाशन, ‘वह बिलकुल चुप थी’ (कहानी संग्रह, नेशनल बुक ट्रस्ट), ‘भोलू भालू सुधर गया’ (बाल कहानी संग्रह), बोधि प्रकाशन, ‘हिमाचल का बाल साहित्य’ (शोध सन्दर्भ), डायमंड पॉकेट बुक्स, ‘जड़ों से जुड़ाव’ (धरोहर संरक्षण की पहल), ’21 श्रेष्ठ बालमन की कहानियां हिमाचल’ (संपादित पुस्तक),’बिंदली और लड्डू’ (बाल कहानी संग्रह), ‘पूंछ कटा चूहा’ (बाल कहानी संग्रह) प्रकाशन विभाग भारत सरकार, नई दिल्ली, ‘पर्यटकों का ननिहाल : हिमाचल प्रदेश’ (पर्यटक गाइड), ‘किसलय’ (हिमाचली युवा कहानीकारों की कहानियां) हिमाचल अकादमी शिमला से प्रकाशित हो चुकी हैं। ‘हिमाचल का बाल साहित्य’ व ‘जड़ों से जुड़ाव’ पुस्तकें अपने विषयों की हिमाचल की सबसे पहली पुस्तकें हैं।
सम्मान
‘फेगड़े का पेड़’ कविता को वर्ष 2017 का प्रतिलिपि संपादकीय चयन कविता सम्मान के साथ बाल साहित्य के कई अन्य सम्मानों से भी सम्मानित किया जा चुका है।